24 February, 2010

Dhan, labh aur bhagya--A study by Dr Hitesh Modha

 वित्,लाभ और भाग्य 

 धर्म, अर्थ, काम और  मोक्ष ये चार पुरुषार्थ पैकी  अर्थ और काम  भौतिक है.इस लिए सभी लोगो को उन में ही अधिक तर रूचि होना वो स्वाभाविक है.इधर वित्-प्राप्ति के योगो की समीक्षा वेदिक ज्योतिष के अनुसार की है.केवल विरक्त और निर्मोही व्यक्ति को छोड़ के एसी कोई व्यक्ति नही है. जिनको धन-प्राप्ति की आकांक्षा ना हो. सब लोग उनके लिए सतत प्रयत्नशील होते है. फिर भी हम देखते है की कठिन से कठिन महेनत करने के बावजूद भी यथा-योग्य धन नहीं मिलता.एक क्षेत्र में एक समान उर्जा और कौशल वाले समान रूप से महेनत करते है पर उनमे से एक वहा धन का ढेर होता है.दुसरे के वहा सिर्फ  जीवन की आवश्यकता  अनुसार मिलता है या फिर  आवश्यकता के हिसाब से नहीं मिलता. एसा बार बार इस युग में देखने को मिलता है. एसा क्यों ?????? ये प्रश्न हमारे मन में बार बार होता होगा, इस में कोई संदेह नहीं. 
वेदिक ज्योतिष के आधारित जन्म-कुंडली में दों  भाव(स्थान)धन-विषयक है. (१)द्वितीय भुवन --धन स्थान (२)एकादशम भुवन --- लाभ स्थान काफी लोगो धन सम्भ्न्धित बाबत के लिए  भाग्य स्थान को भी देखते है. परन्तु, भाग्य स्थान  का सम्बन्ध और विस्तार काफी बड़ा है और दुसरे अन्य भाव से भी है.धन-स्थान धन के संचय और बचत का ही निर्देश करता है जब की लाभ-स्थान आय (Income ) का निर्देश करता  है.इसी लिए आया सम्भ्धित समस्या के लिए सब से पहेले लाभ स्थान (११वा  भाव)का अभ्यास करना अति जरुरी होता है. क्योंकि जो आय का प्रवाह ही ना होगा तो संचय का प्रश्न ही खड़ा नहीं होगा.  ग्यारवे भाव को थोडा इसी अभिगम से अभ्यास करना जरूरी है.(१)अगर लाभ स्थान में गुरु स्वगृही और साथ में नेप्चून हो तो जातक की आमदानी बहोत अच्छी होगी.(२)अगर गुरु अकेले ही ११वे भाव में हो तो आय स्थिर होगी.लेकिन साथ में शुक्र अथवा बुध होगा अथवा १२वे का स्वामिग्रह साथ में होगा तो आय अल्प हो जाएगी.(३)११वे भाव में चन्द्र-गुरु साथ में होगा तो विरासत में बड़ी सम्पति मिलेगी. अगर चन्द्र सवा राशी में स्थित होगा तो माता के परिवार या मामा और नेनिशाल से अधिक धन की प्राप्ति होगी. अगर गुरु धनु राशी होगा तो पिता के परिवार से विरासत में बड़ा व्यवसाय अथवा उद्योग मिलेगा. या फिर गुरु के साथ ४थे भाव का स्वामी होने से विरासत में धन-सम्पति का निर्देश किया जाता है.
(४) धनेश और भाग्य्येश लाभ-स्थान में होगा तो जातक की आय बहोत अच्छी होगी. साथ में  लाभेश भी होगा तो जातक अंत्यंत धनवान होगा.
(५)धनेश-भाग्येश में से किसी एक ग्रह लाभ् स्थान  में हो और दूसरा १२वेस्थान में पड़ा होगा तो जातक की आर्थिक स्थिति सामान्य बन  जाती है.
(६)११वा  स्थान साथी ढंग से ठीक होगा लेकिंग द्वादेश की द्रष्टि ११वा स्थान में होगी तो भी जातक की आमदानी माध्यम होगी या कड़ी महेनत के बाद मुश्किल से गुजरा जितना धन जूता पायेगा.
(७) लाभेश ६, ८ , १२वा स्थान में होगा या शत्रु  राशी में होगा  तो भी आय का प्रवाह मंद हो जाता है (आय नहीं).

(८)लाभेश दशवे स्थान पे होगा तो भी आय मंद होगी.
    अब आर्थिक स्थिति के संदर्भ में धन-स्थान का अभ्यास जरूरी है. देखते है क्या कहेता है धन-स्थान..
 (१) पहेले बताया है की धन स्थान आय के लिए नहीं है. धन के संचय के लिए है.इसी लिए १२वे स्थान का अभ्यास भी जरूरी है क्योंकि १२व स्थान व्यय का है.
(२)लाभ स्थान की तुलना में धन स्थान की विशेषता ये है की यहाँ गुरु के साथ शुक्र हो तो धन संचय या luxuries  और वैभव में काफी बढ़ोतरी होती ही जाती.या ये दोनों ग्रह ८वे स्थान में होगा तो भी ये ही फल मिलेगा. ओशोजी की और महा नायक अमिताभजी, ए आर रहेमान  की कुंडली में मेने ऐसे योग पाये है.दोने में से एक ग्रह धन स्थान में और दूसरा  भाग्य या लाभ स्थान में होगा तो भी ये योग बनते है.
(३) भाग्येश और धनेश के बिच में परिवर्तन योग होगा तो भी धन संचय काफी मोटा होगा.

(४)अगर गुरु या शनि धनेश होके गुरु या शनि की युति में होगा तो जातक के पास इतना  धन संचय होगा  की वो दुबारा  गिन या खोल भी नहीं पायेगा.
(5)धनस्थान का स्वामी पराक्रम स्थान में होगा जातक के पास अच्छी मोटी धन और  सम्पदा होगी 
(६)पराक्रम और धन का स्वामी परावर्तन योग में होगा या धनेश और पराक्रमेश का परावर्तन होगा तो बड़ा धन संचय होगा. अगर यहाँ मंगल और शुक्र की राशी होगी या ग्रह तो जातक की सभी कार्य-काज  धन के लिए ही होगा.
(७) धनेश पांचवे स्थान में होगा या पंचमेश स्वगृही होगा या मित्र राशी में (५वे में) स्थित होगा  तो जातक के पास अखूट दौलत और सम्पदा होगी.
ये दोनों स्थान के अभ्यास के बाद भाग्य स्थान परत्वे एक ही बाबत का रहस्योद्घाटन करने का ही बाकि रह गया है.
सब से पहेले ये जान लेना जुरुई है भाग्य का अर्थ केवल धन-सम्पदा ही नहीं. मानवी का व्यक्तित्व,समाज में उनका स्थान,यश-कीर्ति, शिक्षा, परिवार का सुख, अखंड आरोग्य, (total positivities )
ये सभी सदभाग्य ही है. अगर धन कम हो  या फिर ज्यादा लेकिन ये चीजे ना हो तो ???????????
"धर्मक्रियायाँ हि मन:प्रव्रुतिर्भोग्योपपति विमलं च शीलम.तिर्थप्रयानाम प्रणय: पुरानै: पुन्यालये सर्वमिदं  प्रविष्टम".
अर्थात: धर्म के कार्य में मन की प्रवृति,भाग्य की प्राप्ति,निर्मल चारित्र, तीर्थ-यात्रा, तथा शाश्त्र प्रति प्रीति,इतनी बाबत पुन्यालय में याने भाग्य स्थान में देखि जानी चाहिए. इसी श्लोक में कंही भी वित् या धन या आय का उल्लेख हि नहीं. ये बात नोंधनीय है. भोग्योपपति का अर्थ भोग-विलास की प्राप्ति  नहीं है (ये भी खास नोंध लो) बल्के, पूर्व जन्म के कर्म के  फलानुसार जो परिणाम भुगदना बाकि है उसी को भोग्य कहा जाता है. कभी कभी हम इस जन्म में जाने अनजाने  में कोई बिना स्वार्थ के किसी दुसरे के हित में या देश या समाज के हेतु जो कर्म किये होते उनका भी फल भाग्य स्थान से देखा जाता है. मेरे  सभी पाठको मेने कुंडली के तीनो भाव यहाँ चर्चा की लेकिन भाग्य स्थान थी चर्चा वृतांत में की है क्योकि आप भी भाग्य स्थान के बारे थोडा सोच सकोंगे और इसी विषय पे कार्य करोगे इसी उम्मीद के साथ ये लेख यही  समाप्त करता हु.किसी भी शंका या प्रश्न के निवारण हेतु फ़ोन कर सकते हो. अथवा आप मेरी वेब साईट की मुलाकात ले सकते हो www.ishanastrovastu.co.in 
डॉ हितेश मोढा     :
 .

 

21 February, 2010

The Seven Chakra System influenced by Planetary positions


The Chakra system chart by Vedic astrology

                                                        
        ---- A different kind of study  Planetary influences on chakra system----by Dr.Hitesh Modha

Introduction to the chakra system from Vedic darshan 

 Formerly I said that Vedic-astrology is finest science and mother of all science. In vedic age Vedic-astrology and Ayurved were co-education in Vedic University with various subject like Sthaptya-ved, Gandhrva-ved, Shat-darshan (A six various scripture of Vedic philosophy), Dhanurvidhya, (archery), Xatravidhya, after than the scholar was selected by him/her inner skill a particular faculty of these. But practice vise Vedic-astrology and Ayurved and Darshan were in association precisely. In other hand, that a vedic-astrologer was accomplished Ayurved physician. That  time  practice vise  also  scholar had selected for faculty of Darshan -Yog  by him/her's inner skill.  

       According  to Vedic darshan  This universe is made by five basic elements. PANCH-MAHABHUT like i.e. Akash(sky), Vayu(air), Agni(fire), Jal(water), Pruthavi(earth). It is not only a vedic philosophy, but an extreme truth for all human kind and total biology. All these elements are only found in this world together. Where all these elements are reciprocal, there biology is creates. It is basic crux of Vedic philosophy or seeds and modern science tells such this. A Human body made by these elements. That is why Vedic Maharshi have said “PINDE SO BRAHMHANDE TATHA BRAHMHANDE SO PINDE.” Means there are in body where are in universe. A human body is miniature form of this universe. 
         According to Vedic -Darshan this world made up of five Principle elements like, Jal (water), Vayu (air), Pruthvi (earth), Agni (fire), Aakash (sky). Shows a clear picture of directions, Angles, planets, nature, colors, age, relations. energy  etc etc. there is a god Considerer to each planets of zodiac, directions and angles. all planet's rays , the reflected with sun rays effect to this world or human body by various energy with cosmic force and element vise.  
chakra system
The human energetic system is mainly composed of a vertical energetic axis which runs through our spine from the perineum (the region between the genitals and the anus), up to the top of our head. This is our main energetic channel and it is called in India the Sushumna Nadi. On this channel, at different levels there are seven energetic centers (named chakras) that represent our link to the "reality" and the universe(s). They are located as shown in the image on the right.

The Chakra system chart by Vedic astrology

One can identify the nodal axis with Sushumna Nadi, the energetic central channel that runs through our spine. On this channel, the six chakras are projected at different levels as shown in the image on the left. The seventh chakra, the crown chakra, called Sahastra chakra is not shown in the natal chart, it couldn't be, as it doesn't relate with the material level, only with the higher spiritual worlds. It is transcendental and represents our link to the Divinity.
chakra chart
The other six chakras will be projected on the nodes' axis as follows:
1. Muladhara chakra or the root chakra will be projected at a distance of 30 degrees from the South Node (SN) on both node like south and north but it has no side or phase 
2. Swadisthana chakra or the sexual chakra will be projected from 30 degrees to 60 degrees from the SN on both sides.
3. Manipura chakra or the solar chakra will be projected from 60 degrees to 90 degrees from the SN on both sides.
4. Anahata chakra or the heart chakra will be projected from 90 to 120 degrees from the SN or from 90 to 60 degrees from the North Node (NN) on both sides.
5. Visshuda chakra or the throat chakra will be projected from 60 to 30 degrees from the NN on both sides.
6. Ajna(Agna) chakra or the forehead chakra will be projected from 30 degrees to the NN.
Planets that are in the projection area of one chakra will influence that chakra according to their nature and the side of the nodal axis where they are located. Those on the left side (waxing from the SN) will influence the receptive part and the function of that chakra, while those on the right will influence the emissive part and function of that chakra. In order to understand this better, an esoteric study of the chakras would be required.
7.Shahastra chakra  will be projected from 0 to a 180 degree to NN only this have no side or phase it is connecting with cosmic energy  or supreme power of this universe. 

the Seven chakras system

quick overview of each chakra's activity/influence
chakra
receptive side / energy receivedemissive side / controlled energy
the root chakra or Muladharaphysical, material energycontrolled energy, stability
the sexual chakra or Swadisthansociability, sexual potentialseduction, sexual energy control
the solar chakra or Manipurawhat gives you self confidencewill power, perseverance, charisma
the heart chakra or Anahatawhat you like, love receivedlove emitted
the throat chakra or Vishudhdhapassive intuitionactive intuition and contact to other worlds
the forehead chakra or Agna>mental interest, analysis, memorylogics, mental creativity, synthesis
the crown chakra or Shahastra transcendence - link to the spiritual worlds, to GOD

Table with the planetary influences on the chakra system:

PLANETeffect on the chakras when it is in the left side of the nodes' axis, influencing the receptive function of the chakraeffect on the chakras when it is in the right side of the nodes' axis, influencing the emissive function of the chakra
SUNlots of high quality energy on that level both natally and received from the others in lifeincreased control, mastery of that level
MOONincreased receptivity on that level, the native easily absorbs energies and information from the other or from the naturedeep feelings and a clear inner perspective on the energies of that level
MERCURYmental receptivity on that level, the native is easily energized, fascinated by specific information, either read or heard from othersmental control, understanding, mastery of that level
VENUSinterests / hobbies / passion on that level, meetings of persons that offer him/her psychological support, the feeling of being lovedseduction power, erotism, the successful use of the feelings in order to gain control on that level
MARSenergy, dynamism, activity on that level, courageous friendscourage, dynamic action, good energetic control
JUPITERlots of energy and resources, open interest on the level, exuberance,power of accumulation of energy, wise, spiritual use of that energy
SATURNfew resources and lack of energyvery controlled manifestations, contracture, strategy, economy
URANUSenergy outbursts alternating with low level energy, fluctuationsspiritual, higher consciousness of the energy on that level
NEPTUNElow physical energy, but good contact with the other worldsspiritual use of the energy on that level
PLUTOpassion, deep understanding and feeling of the energy on that leveltransformative potential, occult interests and use of the energy
In this kind of spiritual astrology the Ascendant, the Medium Coeli and the astrological houses are unimportant because in the true spirituality it doesn't matter WHAT one does, but rather HOW one does it. That's why the planets (the inner energies of the being) are important and not the house cusps.

Ideal chakra chart

There is an archetypal activation of all chakras, placing the Moon's Nodes in their domicile on the 0 Capricorn-0 Cancer axis and considering the influence of each sign ruler on the chakra situated at its correspondent level.
We may see in the below images the ideal planetary influences on the chakras.
chakra system chart
The above image could be redesigned as follows, in order to get it more like the traditional representation of the chakras (the planets are not represented anymore, but you certainly know which planet rules each sign).
chakras system chart
A very interesting exercise is to look for persons who have planets influencing their chakras as in this ideal chart. You will notice good functioning of that chakra. For instance Hitler and Stalin had Saturn activating the right side of their Ajna chakra, that's why they were almost geniuses in what they did. (the malefic side, though) Mircea Eliade, a world renowned scientist who wrote a very extensive book on the history of the religions had in his natal chart Jupiter activating the left side of the Ajna chakra, the mental energetic center, offering him a outstanding memory and intellectual analysis capacity (Jupiter is also about religions).
And so on. There is no limitation in the study of the planets' influence on the chakras.
You will find very interesting perspective when analyzing the transiting planets' or the eclipses' influence on a person, you may even apply this in the synastry study, revealing hidden information on the subtle energetic influence of one person on the other.

the Synastry and the chakra chart:

Person A's planet on the right side of a chakra of person B, means that A is helping B to become more active, is stimulating B (which can be both in good or bad). If A's planet is on the left side of a chakra of B, means that A is actually giving B something that B is receptive at (on that level; and it can be also a good thing or a bad thing).
Consider always the North Node position of a person in the other person's chart. Similar as in synastries, where the ascendant's position of one person in the other chart indicates the house on which the first person is most influential, the chakra activated by one person's NN in the other person's natal chart is the most important level of the relationship.
You will quickly notice that if A's NN is on the right side of a chakra of B, then B's NN is on the left side of the same chakra, but of A. It means that in a relationship there is always a receiver-sender relationship (on the same level, i.e. chakra), that represents the base of the connection of the two persons.
As a rule of the thumb, in a sentimental relationship there is always someone who loves more, and the other one who let him/herself be loved.






The North Node transits and the chakra chart:


Consider also the North Node transits around the zodiac, passing through the 12 natal projection regions of the 6 chakras.
Each transit lasts for approx. 1,551 years, as the entire cycle of the nodes lasts 18,614 years, representing a full development and evolution cycle.

--- beginning of the first nodal cycle ---

0-1,55 years: the neurological-motor development of the baby: its first successes (learning the basics, understanding and acquirement of the basis of the language, walking, playing, eating) - the transiting North Node activates the receptive side of the forehead chakra, Ajna.
1,55 - 3,1 years: the child starts talking articulated phrases, his thinking is mostly intuitive, not logical - the transiting North Node activates the receptive side of the throat chakra, Visshuda.
3,1 - 4,65 years: the child starts having intense feelings to the mother, the other members of the family, to other children - the transiting North Node activates the receptive side of the chest chakra, Anahata
4,65 - 6,2 years: the child gets a stronger understanding of its own individuality, it is the age of "I want that! and I want it now!" - the transiting North Node activates the receptive side of the solar plexus chakra, Manipura
6,2 - 7,75 years: the child starts the socializing process, he goes to school, gets in contact with many other children of his age, learns the rules of social behavior - the transiting North Node activates the receptive side of the social, sexual chakra, Swadisthana
7,75 - 9,31 years: the child has a lot of physical energy, loves running around, and it is very difficult to have him still - the transiting North Node activates the receptive side of the root chakra, Muladhara
9,31 - 10,86 years: the child learns to put his physical energy into practical purposes, such as organized sports, starts doing little things in the house (if parents teach him to do so) - the transiting North Node activates the emissive, active side of the root chakra, Muladhara
10,86 - 12,41 years: the children become interested in the opposite sex, the girls have their first menstruation, the children socialize a lot the transiting North Node activates the emissive, active side of the sexual chakra, Swadisthana
12,41 - 13,96 years: the children face very important individualization (personality) problems - typical teenager problems, they learn how to control their needs, start claiming authority - the transiting North Node activates the emissive, active side of the solar plexus chakra, Manipura
13,96 - 15,51 years: the first love experience; whether real or imaginary love, the teenagers start thinking in terms of feelings: the transiting North Node activates the emissive, active side of the chest, heart chakra, Anahata
15,51 - 17,06 years: the teenagers start understanding beyond the words and reality, they get a better intuitive image of the universe - the transiting North Node activates the emissive, active side of the throat chakra, Visshuda
17,06 - 18,61 years: the most mentally creative period of life; they say that many genial ideas were born in persons of this age; it is sure however that the young persons start having their own understanding on the reality, and also start exposing their ideas to the others.
--- the first nodal cycle is over ---

The next ones follow the same pattern, although on a very different level.

Natal chakra activation

I have developped a simple  vedic astrology program calculating your natal chakra system diagram, showing the natal chakra activation, according to the theory presented above.(janma-kundali ). it is natural condition parameter of study of all chakra, but every Janmakundli(natal chart) has various pattern of  planet's energy level of every individual. first of all we should study  one's horoscope (janma kundali).



20 February, 2010

What is difference between Vedic and sayan astrology? -Dr Hitesh Modha







 The difference between Veidc and sayan astrology 
                                                      --------Dr.Hitesh Modha




What is correct -- Nirayan (Indian) or Sayan (Western) (There has been a lot of confusion to the fact whether Sayan system is right or Nirayan.Though being a major difference, yet it has not been well understood. Here, in this article, we try to clarify that the planets in the sky are moving according to Nirayan system, and hence only the nirayan system should be followed in astrology. Sayan system is merely meant for knowing the earth's position with respect to Sun and thus determining the seasons but it is not meant for knowing which planet is passing through which sign.) \ As per the western system sun enters into Aries on 22nd March every year whereas in Indian system Sun goes to Aries on 13/ 14th of April every year. What is correct? Both can not be correct at one time & definitely this means a lot in astrology. A difference of 23-24 days can not be ignored when we are talking of few minutes or seconds accuracy in giving predictions. The followers of Sayan system strongly recommend the usage of 22nd March as entry of Sun into Aries. We at Future Point have tried to go into the root of this problem by looking at the stars physically in the sky and arrived at a conclusion that in the sky, all planets move according to the nirayan system only. To understand it fully let us divide the study into two parts. 1. What is the situation of various planets as computed presently versus the stars. 2. What was the situation 2000 years ago & what will be the situation after 2000 years. Second condition amplifies the difference of Ayanamsa to give a more clear view about the Sayan & Nirayan systems. Now we will discuss both the points in detail. Table -II Transit of Moon during 1____________________-_1_5_ M__a_y _'9_8_ _at_ D__e_lh_i___ _S_ig_n_ T_r_a_n_s_it_e_d_ _ _ _N__ir_a_y_a_n_ _ _ _ _ _S_a_y_a_n_______ Date Time Date Time Can 2/5/98 3:53 30/4/98 9:26 Leo 4/5/98 13:5 2/5/98 15:19 Vir 7/5/98 1:16 5/5/98 1:16 Lib 9/5/98 14:13 7/5/98 13:48 Sco 12/5/98 2:10 10/5/98 2:40 Sag 14/5/98 12:24 12/5/98 14:18 Cap 16/5/98 20:42 15/5/98 0:08 Table -I _Po_s_iti_on_ o_f _M_o_on_ d_u_ri_ng_ 1_-1_5_ M_a_y_ '9_8 _at_ 1_0 P_M__ at_ D_e_lh_i _ Nirayan Sayan _____________________________________ 1st May Gem 26:46 Can 20:36 2nd Can 9:43 Leo 3:33 3rd Can 22:16 Leo 16:6 4th Leo 4:30 Leo 28:20 5th Leo 16:31 Vir 10:21 6th Leo 28:23 Vir 22:13 7th Vir 10:11 Lib 4:1 8th Vir 21:59 Lib 15:49 9th Lib 3:50 Lib 27:40 10th Lib 15:48 Sco 9:38 11th Lib 27:52 Sco 21:42 12th Sco 10:06 Sag 3:56 13th Sco 22:29 Sag 16:19 14th Sag 5:02 Sag 28:52 15th Sag 17:46 Cap 11:36 Sayan (Western) contd ..... 
  All reader if you any doubt for this subject; you can phone me or visit my site www.ishanastrovastu.co.in 


 Dr Hitesh Modha
 Ref: - Bruhad Sanhita, Sidhant Shormani ,The      elements of Vedic  astrology





15 February, 2010

Vastu-Dosh and married life-- by Pt.Dr Hitesh Modha


Vastu-Dosh and married life... By Pt.Dr Hitesh Modha



Vastu leads to a happiest married life which every couple dream of. Life becomes joyful and peaceful if your life partner is compatible with you. Vastu defects may cause non compatibility with life partner. Everybody wants to live a successful and peaceful life. You also want to live a life which is enjoyable and happy, but you do not know why you become sad when you come to your house. You may feel that you are quite happy when you are far away from your house, you can feel some mood swings when you enter in your house. From a vastu perspective, if your home is not in proper balance, it may cause sadness, problem in relationships etc.

 According to Vedic-Darshan basic all five elements (earth, water, fire, air and space) are in balance. Your home can also be balanced there is a need to know the importance of certain structure( a design by Vastu) that can benefit you. Balance the five elements in your home(also human body) because each of the five elements is associated with each direction.

 The Northeast of your house is associated with water element. Open space in northeast of house is good for relationship and finances. Having water element in this direction without touching the diagonal axis(X reakha) is good for finances. If your financial condition is good, it has a positive effect on your relationship. An under ground water tank is good in this direction even though over head water tank is also water element, but if it is in northeast direction that can be stressful for you. Pooja room in northeast quadrant is also good. Bedroom in northeast may be the reason of lot of tension. Toilet, kitchen, store room and a missing northeast corner can cause stagnation in relationship.or it can produce many diseases in home's ladies

The southeast of your house is associated with fire element. Kitchen, electrical equipments are placed in southeast of house are good for lively relationship. Avoid water elements in southeast as fire and water cannot live with each other. If there is cut southeast corner, your relationship can also be suffered. Master bedroom in southeast can cause quarrel in family. The southeast corner governed by Shukra. If any male or female have Maglik mangal, of couple. this corner balance the negative force of Mangal  and make harmony between husband and wife. Other most factor (here) is important a study of horoscope. 

The northwest of your house is associated with air element. If there is a cut corner in northwest or less open space in northwest, it may cause lack of communication between family members. Communication is the base of any relationship so it can affect your relationship with spouse. There can be mental instability due to blocked northwest. Toilet and guest room are recommended in this direction this may lead to proper communication which helps in stability of relationship.


The southwest area of your house is associated with earth element.  mostly all Vastushashtri suggest  a Southwest master bedroom is helpful in stability of relationship. but it is not chief  criteria of vastushashtra. An extended southwest and cut corner in southwest can cause conflicts in relationship. A store room in southwest is a good option. Toilet, kitchen and under ground water tank are not recommended in southwest, it may affect a relationship. and ruin the total finance stabilities also.  

Center of House (Brahmasthan) is associated with space element. A cluttered center of house or no open space in that part of house can cause poor communication in relationship. Toilet, kitchen and under ground water tank in the center of house may cause disagreement.  if  any shrapen or pointed decoration or placement is here ... it may fatal condition. it is mentioned in Bruhad-Sanhita and Brugu Shilp Sanhita.     









Vastu tips for happy Married life 

#Keep bedroom in the south-west of the house. if possible initial  of married life a north-west or North is best for physical relationship and conception(being a pregnancy) 

#Avoid bedroom in south-east as this is a fire place.
# Avoid the kitchen for Sexual pleasure  for change    
# Avoid the mirror when making the love
#Keep head-side of the bed in south direction.
#Paint wall violate color is best for newly married
    couple 
#Paint walls in light colors like green, lemon yellow
    light blue,rose pink.
# Avoid Black color in bedroom. 
# Avoid the any kind of  contraceptive below the
    pillow 
# Avoid  violent picture in bed-room
#Avoid paintings that symbolize death,sad violence
     and negative aspects of life.
# Avoid Northeast bedroom in for  newly wed couple.
  
It is concise, if you have any doubt or having any problem in your married life you can contact or you can phone me or you can visit my web site www.ishanastrovastu.com.   

Pt.Dr Hitesh Modha

Salaman khan's janma-kundali ..A studied by Dr Hitesh Modha

 हिंदी फिल्म के वीर नायक श्री सलमान खान की जन्म-कुंडली .... डॉ हितेश मोढा 

नाम                 मी. सलमान खान 
जन्म तिथि     २७-१२-१९६५
जन्म समय     दोहपर १२-१० 
जन्म स्थल       मुंबई 
जन्म राशी        कुम्भ
जन्म नक्षत्र      धनीस्था  तृतीय चरण 
नक्षत्र पति         मंगल 
जन्म लग्न        मीन
प्रभावी तत्त्व       वायु 
संचालक तत्त्व    जल 
प्रभावी ग्रह         मंगल 


        ये जन्म कुंडली  है भारत के हिंदी फिल्म जगत के वीर नायक सलमान खान की.ये कुंडली  प्रथम दृष्टी अभ्यास  में  कोई खास प्रभाव नहीं छोडती. सिवाय के शनि महाराज जो बारावे(12th) स्थान पे  स्वगृही है और चन्द्र  के साथ होने से प्रचंड विष योग पैदा करता है. शनि ग्रह कभी भी  मीन लग्न(ascendant) में अच्छा फल नहीं देता ओर ऊपर से चन्द्र का बारवे(12th) स्थान में होना ओर दोनों का साथ में होने से बनता विष योग जो  जातक को अनचाही दुविधा ओर परेशानी का ढेर लगा देता है और स्वभाव  ओर वाणी में कटुता भी ला  देता है; ताकि लोगो से अनबन बनी ही रहे. और लोगो से परेशानी ओर इनके खिलाफ बुरा बोलने वाले की संख्या बढ़ी ही रहे.ऐसे छोटे छोटे कारण के साथ आगे लिखे  हुए कुछ योग के साथ  जब    शनि की  या चन्द्र की प्रत्यंतर दशा  चलती हो, तो  उसी समय जातक अवसाद
या फिर अन्य  मानसिक रोग का शिकार हो सकता है. ये सिर्फ  सम्भावना है.
          मीन लग्न(ascendant) साहित्यकारों का और अभिनेता का लग्न है इस लग्न में मार्लोन ब्रांडो  जेसे अभिनेता जन्मे है और आमिरखान का भी ये लग्न है एसा अमुक ज्योतिशशाश्त्री का मानना है ,ये भी मान ले क्यों की फिल्म लाइन में     सफलता का कारक भी   मीन लग्न(Pisces-ascendant) है. जितनी मीन राशी(sign) प्रभावी है उतना ही ये लग्न प्रभवि होता है. और  जातक उतने ही  संवेदनशील होते  है इस लिए इसे जातक अभिनय की ओर जुकते है क्यों की ये अंदरूनी मांग होती है जन्म से ही. और  संवेंद्शीलता  के बिना  अभिनय अधुरा रहेता है.  केंद्र में गुरु ओर सूर्य की प्रतियुती भी अच्छा फल-कारी पुरवार होती है लेकिन कभी कभी सरकार से दिक्कत ओर पोलिस केस  से दिक्कत देती है ये प्रतियुती. ये युति से लग्न जीवन पूर्ण रूप से हो नहीं पायेगा  ये वक्र  सच्चाई है. ऐसे जातक अंतर्मुखी व्यक्तित्व वाले होते है. सभी के साथ खुल के मिल-जुल नहीं सकते. लेकिन एक बार किसी के साथ दोस्ती करली तो जिन्दगी भर उनका साथ नहीं छोड़ेगे.दुसरे शब्दों  में कहे तो दोस्ती करनी और निभानी  कोई मीन लग्न वालो से शिखे.मीन लग्न वाले जातक कभी दोस्ती में स्वार्थ नहीं देखते.और दोस्ती का अंदाज़ भी उनका निराला और कुछ अलग ही होता है.पर अपना दर्द  अन्दर ही अन्दर झेलते है. दुसरे के सामने सरलता से अपनी बात व्यक्त नहीं करते.
ग्यारवे(11th) भाव में स्थित मंगल ओर शुक्र की युति जातक को रोमेंटिक बनाता है, अच्छे मित्र वृन्द  भी देता है  ओर साथ ही साथ अच्छे  मैत्री सम्बन्ध  भी होते  है . ऐसे जातक  समय आने पे दोस्तों पे जान छिड़क सकते है. ये दोनों ग्रहों की सातवी  द्रष्टि पांचवे भाव में  होती है इस लिए  कही  बार प्यार भी हुआ होगा ओर धोखा भी. क्योंकि शुक्र  की सातवी द्रष्टि प्रणय  भाव(5th) में  होने  से  ऐसे जातक के प्यार को किनारा नहीं मिलता.शुक्र भ्रगुसंहिता के नैसर्गिक नियमो के अनुसार  मीन लग्न में शुक्र प्यार ओर लागणी ( emotions ) के मामले में अच्छा फल नहीं देता. इस उच्च का  मंगल  जातक को अनूठी साहसिकता,बहादुरी  ओर वीरता  प्रदान भी करता है लेकिन साथ में शुक्र के कारण  लागणी के  वश होके  कभी कभार कोई अनूठे साहस करने में फंस भी जाते है एसी सम्भावना इस कुंडली के अभ्यास  के उजागर हुयी  है. मंगल मीन लग्न वाले जातक के लिए श्रेष्ठ और विधायक फलदायी माना गया है. लेकिन ये कुंडली में एक और खास बात तो  ये है की धनिस्था  नक्षत्र का मालिक भी मंगल है. वो  श्री सलमान खान की कुंडली में बड़ी विधायक बाबत है 
   मीन लग्न वाले जन्म से ही सरेराश  ऊंचाई,तर ओर सुन्दर आंखे,पित प्रकृति,सत्वगुण,जल के प्रति  विशेष रूचि,कुशल,विनम्र, ट्रेंड सेटर नेस, लोकप्रियता,अच्छे अच्छे (highly  fashoned ) रत्न ओर कपड़े ओर सुगंध की  अधिक रूचि वाले,  धन,कला के विशेष सूझ, या किसी प्रकार की कला,(श्री सलमान खान एक अच्छे इन्सान के साथ  चित्रकार भी  है) दान देने की कामना, देश भक्ति,अजोड साहसिकता,कठिन से कठिन कम करने की क्षमता, हार ना मानने की वृति, अच्छे मित्र बनने की पात्रता,  ओर प्यार में विफलता अकेलापन, विवादों का घेरे लेके ही जन्मते है. बावजूद  ऐसे लोगो जोली ओर आनंदी ओर उमदा होते है. इस कुंडली के दोनों पहेलु को रजू किया  है जो सभी की कुंडली में  होते है  जातक को कौन सा राह चुनना है, उनके के लिए वो  स्वतंत्र होता  है.या फिर हमें जो चित्र दीखता  है वो जातक के लिए सही हो और  वेदिक ज्योतिष के अनुसार ही हो. जन्मकुंडली विधायक और  नकारात्मक दोनों  बाजु को उजागर करती है. वेदिक ज्योतिष में नकारात्मक प्रभाव देने वाले ग्रहों का  योग्य निवारण ओर इलाज  करना  जितना  जातक  की मुन्सफी पे आधारित है; इतना ही  समय(काल) के हाथ में है.
  
डॉ हितेश मोढ़ा



12 February, 2010

Ek najar Gujarati bhasha ki aur








मेरे गुजराती  मित्र 


जयभारत, इस बात को आप सब लोगो को बताने में मुझे बेहद ख़ुशी होगी 
ओर आपको भी होगी. ये ब्लॉग सभी गुजराती लोगो को भेट कर सकते हो.
ज्यादा माहिती या जानकारी लिए आप लोग मेरा सेल  फ़ोन से संपर्क कर सकते हो. ओर गुजराती भाषा के सहयोग लिए किसी भी अभियान के लिए भी प्रत्यक्ष संपर्क या सेल फ़ोन से संपर्क कर सकते हो.  
 लिखितंग   
 डॉ हितेश मोढा
 सेल फ़ोन नं, 09879499307



Hindi Gazal by Dr Hitesh Modha

            




                                        "दगड"


तन्हा सो नहीं     सकती   अपने ही घर में.
हसरतें  गिर   गयी    एक   ही    ठोकर में .


बहोत    कठिन   है   संभलना   नंगे पांव, 
रास्ते      भी     बिछड़     गए   पथ्थर में.


मुद्द्तो  के  बाद   उठाई    कलम   यारो,
लिखूंगा कुछ आस्मां में  या    अख्तर में. 


इसी  लिए   शाम को     पीते    है    शराब, 
बेमुरव्वत  मैकदा बंद मिलाता है सहर में.


चार दीवारों की  फ़िराक में दौड़ा उम्र भर,
आखिर    आशियाँ  बन     गया  कबर में.


कैसी रिवायत  लिए  बेठे    लोग 'सखी', 
हाथ में दगड है    काच  के इस नगर में. 


              -------"सखी" ड़ो हितेश मोढा
                           दिनांक  १८-५-२००२ 

11 February, 2010

Hindi Gazal -2 by Dr Hitesh Modha





Hindi Gazal by Dr Hitesh Modha

मेरे प्रिय मित्र 
 आज आप लोगो के लिए एक ग़ज़ल 


                   "आलम "
देखू हथेली लेकिन मुक्कदर का पता नहीं 
खड़ा हु साहिल पे,   सागर  का   पता नहीं 


एक ही    तो     हसरत   है   इस   दिल  में ,
काश, गर ओर    अक्सर  का      पता नहीं.


दो गज    जमीं   के     लिए   दौड़ा दिन-भर ,
हो  गयी रात फिर भी कबर का  पता  नहीं .


खुद की तलाश में निकल पड़े थे हम यारो,
आलम ये है आज मेरे  घर का  पता  नहीं.


लहू लुहान  है     इन्शान   इस  जमीं    पे,
ईशा, अल्लाह ओर  इश्वर का  पता   नहीं.  


जी में आया   तो  लिख    दी      ये  ग़ज़ल,
क्या  होगी,? उसकी  असर  का पता नहीं 

01 February, 2010



वास्तुदोष कैसे? और कब ?

By astrological point of view the 9 planets influence the human body as well as his home and his atmosphere। Each and every planet has the path to affect the home in a perfect manner. Any false construction or disarrangement or inimical placement in any construction produce the negative energy. This energy along with the horoscopy energy affects the human being in his sub planetary age or for certain period. This can disturb his health, wealth, family relations, matrimonial and marital life, career, education, progress and etc. it can also produce the political problems. It is not necessary that it only affects the main person of the family; it can affect any person related to that home (mainly sensitive and close or first degree relatives). In vastu science terminology it’s called VASTUDOSH.  Do you have any problem? Or are you suffering from never ending troubles? Just check your home, bungalows, apartment, tenements, farm-house, farms, giant plan, school, collage, hostel, temple, convents, office, industrial sheds, factory, hospital, mall, or other real estate or any kind of premises for any VASTUDOSH please contact www.ishanastrovastu.co.in

Ek najar " Bharat" desh ki Bhasha hindi par


मेरे प्यारे माननीय दोस्त लोगो और देश वाशियो
नमस्ते जय भारत साथ ये बताने में मुझे और आपलोगो  को बेहद ख़ुशी होगी की, पुरे भारत देश में हिंदी बोलने और समजने वालो की संख्या ६२ करोड़ है , और इनके अनुपात में पुरे विश्व में इंग्लिश बोलने वालो की संख्या ४८ करोड़ है , जरा सोचिये क्या है ये सब ??????????? हमारी रास्त्र भाषा की ये अवदशा ???? एक रास्त्र एक भाषा . क्यों इंग्लैंड में दूसरी भाषा  नहीं चलती ? विचारिये और पुरे विश्व के प्रथम सोपान पर हमारी हिंदी फिल्म इन्दुस्ट्री है जो  हिंदी दर्शको से ही समृध्ध है फिर भी उन लोगो फिल्म के किसी अवार्ड फंक्सन में ज्यादातर अभिनेता अभिनेत्री और संचालक या सूत्रधार इंग्लिश भाषा में ही बोलते है  क्यों ?????????
ये सुलगता सवाल है ???????इंग्लिश भाषा से कोई वैर नहीं है न तो नफ़रत .... हमें रास्त्रभाषा से कोई लगाव या सन्मान ही नहीं ...नहीं तो हम सब लोग एक साथ हिंदी में ही बात करते .... नहीं की  इंग्लिश भाषा बोलने से  हमारे कहेने के तात्पर्य में वजन आ जाता है एसा हमारा जूठा मानना है नहीं तो नेशनल जियोग्राफी, और गूगल और  डिस्कवरी चेनल वाले भला क्यों हिंदी अनुवादित चेनल शुरू करते ??????? जरा ध्यान से विचारिये ये मुद्ददे को ...............
हम भारतीयों लगभग ३ से ५ हजार साल से विदेश से व्यापर करते आये है तभी  अंतर-रास्ट्रीय भाषा का प्रश्न नहीं हुआ तो अब कहा से ये प्रश्न आया ???? जरा सोचिये सिर्फ इंग्लिश  नहीं आने से हम पीछे है ?????? अगर पीछे रहेने के लिए भाषा जिम्मेदार होती तो जापान, जर्मनी, रशिया,  फ़्रांस  चीन, कोरिया,जेसे कंही देश पीछे रहेते. दूसरी बात उनलोगों के लिए है जिन लोगो विदेश जाते है किस के लिए जाते है ??? अपने लिए या देश के लिए ???? ऐसे लोगो लिए पुरे ६२ करोड़ के सर पे इंग्लिश की मार नहीं मारी जाती.
पुरे भारत में देखो तो पता चलेगा के की एक छोटा सा  गाँव का नाम का  निर्देशन करने के लिए ५- ५ bhansha का प्रयोग किया जाता है गाँव तो ठीक पुरे देश के रेलवे और बस हवाई बस के सभी स्थानक में तिन तिन भाषा का प्रयोग !!!!!!!!!!भाई किस लिए ??????   ये तो केवल छोटे  उदाहरण  है, और भी मिल जायेगे . मुझे रास्त्र भाषा अच्छी लगती है उनका कोई कारण नहीं होता क्यों की ये हमारे देश भारत की भाषा है हम ही हमारी भाषा को बिगाड़ेंगे तो दूसरो को हमारे पर प्यार आने वाला नहीं है  ये भी वैश्विक सच्चाई है  रास्त्र की भाषा पुरे रास्त्र का प्रतिबिम्ब है पूरा रास्त्र का मतलब में और आप और हम सब लोग और कोई नहीं ........सोचिये इस बात पर .... अगर थोड़ी सी सच्चाई है ये पुरे ब्लॉग में तो अप लोगो भी ये सारी बाते और सच्चाये अपने शिक्षक,  शाला, उच्चतर शाला,  महाविद्यालय में भेज सकते है या फिर ये सन्देश को अनु-बिड भी कर सकते हो अपने दोस्त और स्नेही गण को .